
नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपको मेरी ब्लॉग helopanda.com पर। आज हम जानेंगे की जल संकट क्या है (jal sankat kya hai)? साथ में जानेंगे की जल संकट के कारण, प्रकार, प्रभाव और उसके नियंत्रण के बारे में।
आज के समय में जल संकट एक बहुत ही बड़ा मुद्दा है। ये मुद्दा सिर्फ हमारे लिए नहीं बल्कि पुरे विश्व के लिए एक चिंता का विषय बन चूका है। ये एक ऐसी समस्या है जिसके प्रभाव से मनुष्य से लेकर जानवर हर कोई प्रभाबित है। और हम इसके कारण बहुत सारे समस्या का सामना कर रहे है। क्यों की पानी हमारे जीवन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
इस लेख में मैंने बहुत विस्तार से इसके बारे में लिखा है ताकि आपको समझ में आये।
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जल संकट का अर्थ
“जल संकट” शब्दों का सीधा अर्थ होता है पानी की कमी। जब लोगो के पास पिने के लिए या अपने रोजमर्रा जीवन के लिए जल की कमी हो या ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो तो हम उसे जल संकट कह सकते है।
जैसे की उदहारण स्वरुप हम किसान को ले लेते है। किसान को खेती या फसल उगाने में सबसे अधिक मात्रा में जिस चीज की आवश्यकता होती है वह है पानी। अगर फसल में पर्याप्त मात्रा में सींचने लायक पानी ना मिले तो हम कह सकते है कि वह जल संकट का सामना कर रहे है। इसके कारण फसल की उपज में कमी आ सकती है और इससे उनकी किसानी में कठिनाइयाँ आ सकती हैं।
ये समस्या कई कारण से हो सकती है जैसे की अक्सर सूखा पड़ना, अधिक उपयोग, या वातावरण के परिवर्तन। और दुःख की बात है की ये समस्या दुनिया भर में बढ़ रही है, जिसका समाधान बहुत जरुरी है।
जल संकट के प्रमुख कारण
जल संकट के प्रमुख कारणों में कई मुख्य वजहें हैं। यह समस्या न केवल एक विशेष स्थान पर हो रही है, बल्कि यह विश्वभर में एक महत्वपूर्ण समस्या बन चुकी है। इसमें निम्नलिखित कारणों का महत्वपूर्ण योगदान हो रहा है:
अव्यवस्थित जलवायु परिवर्तन
अव्यवस्थित जलवायु परिवर्तन या Climate change के बारे में अपने जरूर सुना होगा। आज कल कई एक्टिविस्ट इसके लिए तन मन से काम कर रहे है। अव्यवस्थित जलवायु परिवर्तन हमारे प्लेनेट के लिए एक बहुत बड़ा सिरदर्द बन चूका है, जिसके कारण बहुत सारे समस्या उत्पन्न हो रहे है। जिनमे से एक है मौसम का अनियमित ढंग से बदलते रहना। जिसके कारण अधिक वर्षा, बर्फ़बारी, बाढ़ और सूखे का सामना करना पड़ता है। जिनका उपाय बड़ी मुश्किल से हो रहा है।
बढ़ती जनसंख्या
दूसरा सबसे बड़ा कारण है हमारी बढ़ती जनसंख्या। बढ़ती जनसंख्या के कारण जल की मांग की भी बृद्धि हो चुकी है। जिसके कारण जल का सामना करना पड़ता है। अधिक आबादी जल का ज्यादा उपयोग करती है और साथ में जल का फ़िज़ूल इस्तेमाल किया जाता है जिसके कारण लोगो को पानी की कमी होती रहती है।
अव्यवस्थित जल उपयोग
तीसरा कारण है अव्यवस्थित जल उपयोग का। आज कल लोग पानी का महत्व समझ नहीं पा रहे इसीलिए पानी का दुरुपयोग किया जाता है। लोग पानी को सरक्षित करने की बजाय उसको बेकार नष्ट कर रहे है। जिसके कारण उनको सूखे के मौसम में बहुत असुबिधा का सामना करना पड़ता है।
जंगलों की कटाई
चौथा कारण है जंगलों की कटाई। पेड़ हमारे मित्र है पर आज कल अनियमित पेड़ो की कटाई के कारण हमारे परिवेश पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रही है। जिस के कारण जल संवर्धन और प्रबंधन में कठिनाइयाँ हो रही हैं।
प्रदूषण
जल प्रदुषण के कारण हमारे चारो तरफ नदी, नाले, झील और तालाब के पाने उपयोग करने लायक नहीं रहती। बड़े बड़े फैक्ट्री से लेकर आम लोग तक अलग अलग तरीके से हमारे पानी के स्रोतों को गन्दा करते रहते है। जिस वजह से ना वह पिने के लायक रहती है और ना ही खेती बाड़ी में काम आते है।
जल संकट के प्रकार
जल संकट कई प्रकार के हो सकते हैं और इनमें से कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:
जलावरण संकट: जलावरण संकट तब कहा जाता है, जब जल उपयोगी क्षेत्रो में पानी की कमी होती है। जैसे की किसान को अपने खेती में सिचाई के लिए पानी की कमी होना या नगर के कार्यो के लिए पानी की कमी होना।
जल प्रदूषण संकट: जल प्रदूषण समस्या तब उत्पन्न होती है जब हमारे आसपास के पानी के स्रोतों में जैसे की नदी, नाले, झील या तालाब के पानी को प्रदूषित किया जाता है। आपने कई बार देखा होगा की कैसे फैक्ट्री की गन्दगी को किसी नदी में डाल दिया जाता है, जो की तरह तरह के केमिकल्स से भरे होते है जो पानी में मिल कर पानी को गन्दा कर देते है जिस वजह से नदी में रहने वाले जीव जंतु से लेकर पौदे तक सबको हानि पहुँचती है। साथ में नगर के सारे गन्दगी को भी नदी और नालो में छोड़ा जाता है जो की वहां के पानी को और प्रदूषित करता है।
जलस्रोत संकट: जलस्रोत संकट तब कहा जाता है जब प्राकृतिक जल स्रोतों की कमी होती है। जैसे की नदी और झीलों का सुख जाना।
जलवायु परिवर्तन संकट: जलवायु परिवर्तन संकट तब कहा जाता है जब जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम पर प्रभाव पड़ता है और अधिक मात्रा में बारिश और बर्फ़बारी इत्यादि होता है।
जल संकट के प्रभाव
जल संकट का प्रभाव हमारे समाज और हमारे पर्यावरण के ऊपर बहुत ही गहरा प्रभाव डालते है। जैसे की जल की सप्लाई, कृषि और हमारे स्वास्थ्य के ऊपर.
जैसे की जल संकट के कारण लोगो को पिने लायक पानी प्राप्त नहीं होता जिस के वजह से अपनी पानी की पूर्ति के लिए लोगो को दूर स्त्रोतों पर जाना पड़ता है जिस से हमारे पर्यावरण को हानि पहंचती है, जिससे प्रदूषण बढ़ता जल स्त्रोतों का नुक्सान होता है।
कृषि में भी इसका प्रभाव दिखता है। जैसे की, फसल को सही मात्रा में उचित समय पर पानी ना मिलने पर फसल सही समय पर नहीं होती और फसल अच्छे नहीं होते। जिसका प्रभाव कृषक और हम लोगो पर पड़ता है।
जल संकट के कारण भारी मात्रा में प्रदुषण बढ़ रहा है, जिस से हमारे स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। जल संकट से होने वाले बादल और मूसलाधार वर्षा से बढ़ते हुए प्रदूषण के कारण हवा की गुणवत्ता गिर रही है, जिससे डायोक्सिन्स, ऑजोन, और स्मॉग जैसे हानिकारक तत्व बढ़ रहे हैं।
साथ में जल संकट के कारण जीव जंतु और पक्षियों पर भी इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। जल संकट के कारण जल स्त्रोत प्रदूषित हो रहे है जिसके कारण जानवरों के लिए पीने ल्याक पर्याप पानी उपलब्ध नहीं है। इससे जैव विविधता पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
अंत में जल संकट के कारण समाज में अराजकता फ़ैल रही है। लोग पानी के लिए आपस में संघर्ष कर रहे है जो की एक स्वस्थ समाज के उन्नति के लिए बाधक है।
जल संकट के नियंत्रण के उपाय
अब आप समझ चुके है की जल संकट कितनी बड़ी गंभीर समस्या है। इस समस्या के निवारण करना सिर्फ सरकार या बैज्ञानिको का काम नहीं है बल्कि हर आम नागरिको को भी इसमें योगदान करना होगा। निम्नलिखित कुछ उपायों को अपनाकर हम जल संकट से निपट सकते हैं:
जल संरक्षण: हमें हमारे चारो तरफ के पानी की पानी को अच्छे तरीके से सरक्षण करना होगा ताकि मुसीबत के समय इसका हम सही से उपयोग कर सके। इसके लिए हम टेक्नोलॉजी का भी सहारा ले सकते है।
वृक्षारोपण: ये बहुत ही जरुरी है की हम पेड़ पौदो की रक्षा के साथ में नए नए पेड़ लगाए, क्यों की वृक्षारोपण से जल संकट से लड़ने में मदद मिलती है। क्योंकि पेड़ों के रूप में वृक्ष जल को अपनाकर उसे पुनर्चक्रण करते हैं, और इसके साथ ही जल को प्रदूषण से भी बचाते हैं।
जल शोधन: हम तरह तरह के टेक्नोलॉजी और सरकारी सहायता है प्रदूषित जल को शुद्ध करके उसका फिर से उपयोग कर सकते है।
शिक्षा और जागरूकता: अंत में जो सबसे महत्पूर्ण है वह है शिक्षा और जागरूकता। क्योंकि शिक्षा और जागरूकता के बिना लोग फिर से पानी और जलस्रोतों को प्रदूषित कर नुकसान पहुंचाएंगे। इसीलिए शिक्षा और जागरूकता की आबश्यकता है।
अब आप समझ चुके है की जल संकट क्या है? इसके प्रकार और प्रभाव क्या क्या है और इसका निवारण क्या है। इस समस्या को हम किसी सरकार या किसी संगठन के भरोसे नहीं छोड़ सकते। बल्कि ये हर नागरिक की जिम्मेदारी है की वह अपनी सामर्थ्य के अनुसार इस समस्या के समाधान में हाथ बढ़ाए। जिस से हमारे आगे आने वाले पीढ़ीओं को किसी असुबिधा का सामना करना ना पड़े।

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